राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संबंधी
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) स्कीम के तहत राष्ट्रीय ग एवं घ कर्मचारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय फ्रैंचाइजी प्रशिक्षण कार्यक्रम, विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार की दो प्रमुख क्षमता विस्तार पहल हैं।
राष्ट्रीय प्रशिक्षण पोर्टल संबंधी
यह पोर्टल, देश भर में समूह ग एवं घ श्रेणी के लगभग 75,000 कर्मचारियों तथा विभिन्न विद्युत कंपनियों से 40,000 व्यक्तिगत फ्रैंचाइजियों के प्रबंधन और प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करेगा। सभी विद्युत वितरण कंपनियां, जिनकी संख्या लगभग 100 तथा 300 इंपैनल्ड प्रशिक्षण संस्थान होंगे, दोनों विद्युत कंपनियों और स्वतंत्र प्रशिक्षण संस्थानों के अधीन हैं। यह वितरण कंपनियों (यूटिलिटियों), समूह ग एवं घ श्रेणी के कर्मियों, रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कारपोरेशन, हैदराबाद में इसके प्रशिक्षण संस्थान सायर तथा अन्य पार्टी प्रशिक्षण प्रदाता के लिए भी सहयोगी मंच बनेगा, जो सही समय पर आंकड़ों का पता लगाने, अर्थपूर्ण एमआईएस निवेशों में प्रोसैसिग, प्रयोक्ताओं और हितधारकों की बड़ी संख्या में प्रसार करने, मॉनीटरिंग के विभिन्न प्रयोजनों के अनुप्रयोग, निर्णयन के लिए व्यवहार्य एक वेब समर्थित सूचना प्रौद्योगिकी मंच प्रदान करेंगे। पता लगाए तथा प्रसारित किए जाने वाले आंकड़े, प्रशिक्षण प्रदाताओं, यूटिलिटियों, प्रशिक्षण संस्थानों, प्रशिक्षणार्थियों के प्रोफाइल और डेटा, उनके प्रशिक्षण फीडबैक से मिलते जुलते होंगे और प्रशिक्षण प्रदाताओं द्वारा प्रस्तुत दावों, इनके ऑनलाइन प्रोसैसिग सहित, प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफलतापूर्वक प्रस्तुति पर आधारित होगे। वेब आधारित आईटी मंच की परिकल्पना अनधिकृत एक्सेस निवारण संबंधी सुरक्षा की सभी विशेषताओं के साथ तकनीकी रूप से मजबूत और सुस्पष्ट होगी तथा डेटा का प्रयोग या उसकी पुनःप्राप्ति को भी आकर्षक बनाने में तथा उपयुक्त सचित्र ग्राफिक आकृति और बार चार्टों के प्रस्तुत करने का तरीका भी विकसित किया जाएगा।
समूह ग एवं घ श्रेणी के कर्मचारियों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम
इसका उद्देश्य विद्युत वितरण यूटिलिटियों में कार्यरत समूह ग एवं घ श्रेणी के कर्मचारियों के कौशल को उन्नत करना है। तकनीकी, लेखा, लिपिकीय स्टाफ में गैर-कार्यपालक तथा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को भी समूह ग एवं घ श्रेणी कर्मियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रवर श्रेणी लिपिक, अवर श्रेणी लिपिक, भंडार लिपिक, टंकक, अनुसचिवीय स्टाफ हैं। हेल्पर, लाईनमैन, लाईन निरीक्षक, इलेक्ट्रिशियन, सब-स्टेशन प्रचालक, मीटर रीडर्स, ग्राहक शिकायत परिचर तकनीकी स्टाफ हैं। चपरासी, चौकीदार, सफाई कर्मचारी इत्यादि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। ग्यारहवीं योजना के अंत तक समूह ग एवं घ श्रेणी के लगभग 75000 कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कारपोरेशन
रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड, सार्वजनिक क्षेत्र का एक नवरत्न उपक्रम, विद्युत क्षेत्र के विकास, विशेषकर ग्रामीण विद्युतीकरण, में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आरईसी को जुलाई, 1969 में निगमित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण विद्युतीकरण की योजनाओं को वित्तपोषित करना था। इन स्कीमों का उद्देश्य पहले की भांति ग्रामीण क्षेत्रों की विद्युत आपूर्ति में सुधार लाना तथा कृषि पंपसेटों को ऊर्जायित करना था।
इन वर्षों के दौरान, भारत सरकार की विकास प्राथमिकताओं के अनुसार आरईसी का अधिदेश बढ़ा है, जिसके फलस्वरूप आरईसी अब पूरे देश में विद्युत क्षेत्र के सभी भागों में वित्तपोषण कर रहा है तथा भारतीय विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में एक प्रमुख सार्वजनिक वित्तीय संस्था के रूप में उभर कर आया है।
आरईसी के प्रमुख उत्पाद हैं, दीर्घकालिक तथा अल्पकालिक ऋण, जो राज्य सरकार की गारंटियों, भूमि गिरवी, परिसंपत्तियों इत्यादि के मालबंधन के रूप में प्रतिभूतियों द्वारा समर्थित हैं। आरईसी के उधारकर्ताओं में राज्य क्षेत्र विद्युत यूटिलिटियों/रा.बि.बो., केंद्रीय क्षेत्र, संयुक्त क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र की विद्युत यूटिलिटियां भी शामिल हैं। आरईसी अब सभी वित्तीय संस्थाओं के साथ भली-भांति प्रतिस्पर्धा कर रहा है। कारोबार के संचालन और विकास के लिए भारत में 18 परियोजना कार्यालय और 5 आंचलिक कार्यालय है। क्रिसिल, फिच और केयर द्वारा आरईसी को सबसे ऊंची रेटिंग दी गई है। कंपनी को दीर्घकालिक ऋणों पर फिच तथा मूडी से क्रमशः ’बीबीबी’ तथा ’बीएए3’की रेटिंग प्राप्त है, जो भारत की सोवरेन रेटिंग के बराबर की अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग है।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई)
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) को अप्रैल, 2005 में शुरू किया गया, जिसमें सभी चालू योजनाओं को शामिल कर दिया गया था। कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार की यूटिलिटियों को 90% अनुदान भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है तथा 10% ऋण के रूप में आरईसी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इस कार्यक्रम के लिए आरईसी नोडल एजेंसी है।
आरजीजीवीवाई के लक्ष्यः
• नई परिभाषा के अनुसार सभी गांवों तथा वासस्थलों का विद्युतीकरण करना।
• सभी ग्रामीण आवासों में बिजली पहुंचाना।
• गरीबी रेखा से नीचे के (बीपीएल)परिवारों को नि:शुल्क बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराना।
आरजीजीवीवाई के तहत अवसंरचनाः
• ब्लॉकों में पर्याप्त क्षमता के 33/11केवी (अथवा 66/11केवी) सब-स्टेशन, जहां पर ये उपलब्ध नहीं हैं, से ग्रामीण विद्युत वितरण आधार (आरईडीबी)।
• गांवों/वासस्थलों में उपयुक्त क्षमता के वितरण ट्रांसफार्मरों के प्रावधान से ग्राम विद्युतीकरण अवसंरचना (वीईआई)।
• जहां पर ग्रिड आपूर्ति व्यवहार्य अथवा किफायती नहीं है, वहां पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर आधारित विकेंद्रीकृत वितरित उत्पादन (डीडीजी)।